वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी लोगों की क्यों जा रही है जान ?
पद्मश्री से सम्मानित भारत के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर केके अग्रवाल का निधन हो गया। उनका दिल्ली के अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था। लेकिन वह कोरोना के चपेट में आने से उनका निधन हो गया। उन्होंने वैक्सीन के दोनों डोज को ले लिए थे। दूसरी डोज को लिए हुए उन्हें 15 दिन से ज्यादा हो गया था। इसके बाद भी डॉक्टर केके अग्रवाल के साथ ऐसा हुआ। यह अपने आप में ही चौका देने वाली मामला है।
भारत सरकार ने अभी तक दो ही टिकों को मंजूरी दी है कोविशिल्ड और कोवैक्सीन।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए वैक्सीनेशन ही प्रभावी तरीका है। कोरोना की वैक्सीन को लेकर अब तक जो तथ्य भारत सरकार और वैक्सीन निर्माता के तरफ से रखे गए हैं उनसे यही पता चलता है कि वैक्सीन के दो डोज लगने के 15 दिन बाद यदि आप कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं तो उन्हें अस्पताल जाने की नौबत नहीं आएगी।
पिछले महीने तक भारत सरकार द्वारा कहा जा रहा था कि वैक्सीन ही मौत से बचाव का उपाय है। एस्ट्रोजेनिका का की वेबसाइट पर साफ शब्दों में कहा गया है कि वैक्सीन के फेज 3 ट्रायल के नतीजों में पाया गया है कि वैक्सीन आपको कोविड-19 के गंभीर संक्रमण अस्पताल जाने और मौत से 100% सुरक्षा प्रदान करती है।
वैक्सीन के दो डोज लगने के बाद भी कोरोना से 270 डॉक्टरों की मौत भारत में हो चुकी है। हालांकि उन्होंने यह बात स्पष्ट नहीं की है कि उन्होंने वैक्सीन के दोनों दोस्त लिए थे या नहीं।
लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है भारत सरकार ने 16 जनवरी 2021 से ही टीकाकरण अभियान की शुरुआत की थी। पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगवाई गई थी। इस आधार पर माना जा सकता है कि अधिकतर स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन के दोनों डोज लग गए होंगे।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के संयुक्त सचिव लभ अग्रवाल ने कहा है कि वैक्सीन लेने से कोरोना से संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ ही प्रतिशत लोगों में वैक्सीन के दोनों दोस्त लेने के बाद भी होता है लेकिन भारत में ऐसा बहुत ही कम लोगों के साथ हुआ है।
ICMR ने इससे पहले इस तरह का इन्फेक्शन का डाटा साझा किया है। इस डेटा के अनुसार प्रति 10,000 व्यक्ति में ऐसे मात्र दो तीन मामले सामने आए हैं।
दिल्ली के एम्स के डॉक्टर संजय राय कहते हैं कि दुनिया के कोई भी देशों में ब्रेक थ्रू इंफेक्शन के मामले देखने को मिले हैं। इसलिए वैक्सीन के दो डोज और 15 दिन के बाद मौत को 100% मात देने वाली बात अब सही नहीं है वैसे भी अभी तक किसी भी वैक्सीन को 100% मौत को मात देने की क्षमता नही है।
मेदांता अस्पताल के डॉक्टर अरविंद कुमार कहते हैं कि वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी मौत हो रही है तो इसके पीछे संभावित 3 वजह हो सकती है-
● हो सकता है कि टीका लगने के बाद लोगों में एंटीबॉडी सही मात्रा में नहीं बनी हो।
● यह भी हो सकता है कि एंटीबॉडी बनी तो हो जरूर पर इतनी ताकतवर नहीं थी जो शरीर में वायरस का मुकाबला कर सके।
● तीसरी वजह यह भी हो सकती है कि जिस वैरीअंट के वजह से पुराना संक्रमण हुआ वैक्सीन से बनी एंटीबॉडी उस पर बेअसर है।
इस पोस्ट के माध्यम से हम यह नहीं कहा चाहते हैं कि आप सभी वैक्सीन नहीं लें। वैक्सीन लगवाना जरूरी है। डॉक्टरों का कहना है कि इस पर अभी शोध चल रही है। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है और प्रत्येक आदमी को वैक्सीन लगवाने की जरूरत है।
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यह बहुत ही हैरान करने वाली बात है कि वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी मौत हो रही है।
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