........तो कैसे बनेगा वैक्सीन का इतना सारा डोज!!
बहुत ही कम समय में कोरोना वैक्सीन की डोज बन चुकी है। एक अनुमान के मुताबिक इस साल के अंत तक दुनिया भर के 5.8 अरब वयस्कों की डोज उपलब्ध हो जाएगी। और दुख की बात यह है कि वैक्सीन का उत्पादन भौगोलिक रूप से ठप है। साथ ही कुछ देश का सामना कर रहे हैं।ऐसे में सभी को वैक्सीन पहुंचाने के विचार को झटका लगा है।
चलिए दुनिया में वैक्सिंग की उपलब्धता को प्रभावित करने वाले कुछ कारकों पर नजर डालते हैं-
ड्यूक्स ग्लोबल हेल्थ एसोसिएशन सेंटर के मुताबिक इस साल 12 अरब से ज्यादा डोज का उत्पादन हो सकता है। वैक्सीन की उत्पादन और आपूर्ति पर निगरानी रखने वाली एयर फिनिटी के मुताबिक इस साल 2021 में 11.1 अरब से ज्यादा डोज का उत्पादन हो सकता है।
एयरफी नीति के मुताबिक 5 साल और उससे ज्यादा उम्र की 75 परसेंट वैश्विक आबादी को टीका लगाने के लिए 10 दशमलव 82 अरब डोज पर्याप्त होगी। ज्यादातर वैक्सीन का उत्पादन अमेरिका और यूरोप में हो रहा है। इन देशों को डोज पहले मिल रही है। क्योंकि वहीं पर वैक्सीन का उत्पादन हो रहा है।
यह विदेश निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के तरीकों का इस्तेमाल करके यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि वैश्विक बाजार से पहले उनके नागरिकों को वैक्सीन मिले।
वैक्सीन के उत्पादन में एक और बड़ी चुनौती है सप्लाई चैन।वैक्सिन के उत्पादन में लगने वाले कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर तकनीक और विशेषज्ञता तक देशों के बीच के संबंध अच्छे स्थिति में नहीं है। इसके नतीजे कई जगह पर जहां नई डोज बनने वाली थी वहां उत्पादन ठप पड़ गया है।
एयरफिनिटी के अनुमान के मुताबिक इस साल वैश्विक आपूर्ति में तीन वैक्सीन का दबदबा कायम रहेगा फाइजर/ बायोएनटेक (2.47 अरब डोज)
ऑक्सफोर्ड / एस्ट्राजेनिका (1.96 अरब डोज) सिनोबैक (1.35अरब डोज)
सिनोबैक की शुरुआती लक्ष्य सफल रही है हालांकि एस्ट्रेजनेका वैक्सीन ने इस साल तीन अरब वैक्सीन की डोज बनाने का योजना बनाई है
इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए कंपनियों ने अलग-अलग जगह पर उत्पादन कर रहे साझेदारों पर निर्भर थी दुनिया में वैक्सीन के वितरण को प्रभावित करने वाला एक और कारक है वह चीन के निर्यात पर प्रतिबंध।
एयरफिनिटी के सीनियर एनालिस्ट मैट लिनले ने बताया कि इन समस्याओं की वजह से विकासशील देशों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
फाइजर सबसे ज्यादा वैक्सीन बना रही है लेकिन यह वैक्सीन उन अमीर देशों तक पहुंच रही है जो इसे खरीद रहे हैं । एस्ट्रोजेनिक का का उत्पादन भारत और यूरोप में हो रहा है और इसका वितरण भी वहीं तक सीमित है।
एयरफिनिटी के मुताबिक केवल चीन ही बड़े पैमाने पर वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है और अभी तक 26.3 करो रोज विदेश भेज चुका है चीन ने शेष राष्ट्रीय वितरण की योजना को बढ़ावा दिया है।
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