पाकिस्तान इतने फाइटर जेट क्यों खरीद रहे हैं।
पाकिस्तान के सरकार ने 2016 से 2020 के बीच पांच अलग-अलग देशों से 8 बड़े सौदे किए हैं। इसका मकसद दिया है कि वायुसेना और नौसेना को मजबूत करना है।
स्वीडन के 3 टैंक सिपरी के एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि इन रक्षा प्रणालियों को खरीद के बाद पाकिस्तान एशिया प्रशांत क्षेत्र के सबसे ज्यादा हथियार खरीदने वाले देशों में शामिल हो गया है।
हथियार खरीदने के मामले में पाकिस्तान में अपने पड़ोसी दोस्त चीन पर सबसे ज्यादा भरोसा किया है। चीन ने पाकिस्तान को अलग अलग तरह के फाइटर जेट बेचे हैं।
चीन के अलावा पाकिस्तान ने तुर्की से मिलजोम युद्धपोत का आयात भी किया है। पाकिस्तान स्थानीय स्तर पर भी पनडुब्बियों को तैयार कर रहा है।
पाकिस्तान की एक और रक्षा उद्योग पाकिस्तान ऑडियंस स्पेक्ट्री के बाद छोटे हथियार और गोला बारूद बनाने की क्षमता है।
शिवपुरी के दस्तावेज के मुताबिक पाकिस्तान ने विदेशों से लड़ाकू जेट, लड़ाकू हेलीकॉप्टर, पनडुब्बी और युद्धपोत आयात किए हैं लेकिन फिर उन्हें स्थानीय स्तर पर निर्मित किया है।
साल 2018 में पाकिस्तान ने 30 टी-129 फाइटर जेट की खरीद की खरीद के लिए तुर्की को 1.5 अरब डॉलर का आदेश दिया था। लेकिन तुर्की के नौसेना उद्योग पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद यह ऑर्डर रद्द कर दिया गया।
शिवपुरी के रिपोर्ट के मुताबिक इस दौर में बड़ी मात्रा में पाकिस्तान मैं छोटे हथियार आयात किए हैं।इनमें नौ सेना के लिए बंदूक के गोला बारूद टैंक और एंटी शिप मिसाइलें शामिल है।
स्टॉकहोम स्थित सेंटर फॉर ग्लोबल पीस एंड रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान साल 2016 से साल 2020 के बीच पाकिस्तान एशिया और एशिया प्रशांत क्षेत्र में सबसे बड़े हथियार खरीदारों में से एक था।
एयर वाइस मार्शल शहजाद चौधरी ने बताया कि पाकिस्तान बीते 70 सालों से खतरे का अंदाजा एक ही अंदाज में लगा रहे हैं। एक सवाल के जवाब में उनका यह कहना था कि फरवरी 2019 में भारत की तरफ से किए गए हवाई हमले ने पाकिस्तान के रक्षा एस्टैब्लिशमेंट के खतरे का अंदाजा लगाने के तरीके में बदलाव नहीं किया।
पूर्व आईएसआई चीफ जनरल (रिटायर्ड) असद दुर्रानी के मुताबिक 'हमारे जैसे देशों में खतरा का अंदाजा रूढ़ीवादी तरीकों से ही किया जाता है'
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